लेखनी कहानी -24-Dec-2022
बढ़ जाना अपने पथ पर हे पथिक
मार्ग कठिन है तो क्या हुआ
उम्मीदों का दामन तो नहीं छूटा है हे पथिक
हो चाहे कितनी भी कठिनाइयां तू बढ़ते जाना
मंजिल अभी दूर है तो क्या
कर साहस तू आगे चलते जाना
नही रोक सकता कोई भी मुश्किलों का पहाड़ तुझे
बस हिम्मत का दीप तू जलाये रखना
हौंसले से अपने पथ का उजियारा तू बनाए रखना
बढ़ते जाना बढ़ते जाना मुश्किलों की गांठे खोल के
तू अपना संयम बढ़ते हुए मंजिल को पाते जाना
अपने हर पथ पर तू विजयी हो के खुशियों को मनाते जाना
'आदि ' पथ से भटक कर न अपना वजूद तुम खो जाना
इसलिए ही पथिक अपने पथ पर बढ़ते जाना
सीताराम साहू 'निर्मल'
29-Dec-2022 04:34 PM
शानदार
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Abhilasha deshpande
24-Dec-2022 07:15 PM
बेमिसाल
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Sachin dev
24-Dec-2022 07:09 PM
Well done
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